आज शाम इस समय जलाएं होलिका, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि… 

वीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में होली का त्योहार मनाया जाता है। होली दो दिनों का त्योहार है और दोनों ही दिनों की विशेष धार्मिक मान्यता है।

 होलिका दहन की शाम को होलिका जलाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका राजा हिरण्यकश्यप की बहन थी।

हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) ने अपने पुत्र प्रह्लाद को जान से मारने की योजना बनाई थी और अपनी बुरी मंशा के चलते उसने अपनी बहन होलिका को आग में बैठकर प्रह्लाद को मारने के लिए कहा था।

होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग की लपटों में नहीं आएगी। लेकिन, प्रह्लाद की भक्ति ने उसे आंच तक नहीं लगने दी और भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका मर गई। इसी दिन से होलिका दहन किए जाने की परंपरा शुरू हुई। जानिए इस वर्ष होलिका दहन किस मुहूर्त में किया जाएगा। 

होलिका दहन की पूजा और शुभ मुहूर्त:


इस वर्ष होलिका दहन की तारीख को लेकर कई लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन, असल तिथि होलिका दहन की 7 मार्च ही है।

पंचांग के अनुसार 7 मार्च की शाम होलिका दहन किया जाएगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च, मंगलवार शाम 6 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में होलिका दहन करना बेहद शुभ माना जा रहा है। 

होलिका दहन को लेकर भद्रा के साये की शंका भी बताई जा रही थी। माना जाता है कि होली पर भद्रा (Bhadra) का साया लगा हो तो इस मुहूर्त में होलिका दहन करना बेहद अशुभ होता है।

इससे जातक के घर-परिवार पर भद्रा का बुरा साया पड़ता है और जीवन में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि, इस वर्ष होलिका दहन पर भद्रा का साया नहीं है जिस चलते बिना किसी चिंता होलिका दहन किया जा सकता है। 


होलिका दहन की पूजा विधि 

  • होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत की तरह देखा जाता है। कई-कई दिनों पहले से ही होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। आमतौर पर गली या चौराहे पर होलिका दहन के लिए लकड़ियां इकट्ठी करके रखी जाती हैं। 
  • होलिका दहन की पूजा (Holika Puja) के लिए अग्नि जलाई जाती है और होलिकाग्नि में गेंहू की बालियां, अनाज, गुलाल, साबुत हल्दी, चंदन, अक्षत, फूलों की माला और प्रसाद आदि अर्पित किए जाते हैं। 
  • इसके अलावा, गोबर के कंडों की माला, चावल और गन्ना चढ़ाना भी बेहद शुभ माना जाता है। 
  • होलिका जलने के बाद जब राख ठंडी पड़ जाती है तो इस राख को लोग माथे पर भी लगाते हैं।  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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